Sunday, September 25, 2016

लाठी खाना है तो विधान सभा के सामने खाएंगे जहाँ से पूरा प्रदेश देख सके

*(4 अक्टूबर-संघर्ष दिवस)*
                                            मित्रों इनके संघर्ष का परिणाम इन्हें मिलना शुरू हो गया है।हमलोग इनकी सफलता को देखकर सदैव केवल अपनों पर आरोप-प्रत्यारोप में लग जाते हैं।लेकिन इसके पीछे के इनके संघर्ष को हम देख नहीं पाते हैं।पिछले कुछ दिनों में लगभग सभी संगठनों को मनवांछित मांगों में से कुछ न कुछ मिला जरूर है अब हमारी ही बारी है।
                     4 अक्टूबर को ऐसा संघर्ष करना है जो इतिहास बन जाए।मैं सभी साथियों से आह्वान करता हूँ कि एक बार कोलाहल मचा देना है।हमको प्रयास न करना पड़े बल्कि मुख्यमंत्री जी खुद अपनी तरफ से प्रतिनिधि मण्डल को बुलाकर मांग पूरी करें।
आशा या निराशा तो केवल उन्हें होती है जो संघर्ष में साथ दे रहे हैं।जो लोग घर बैठने वाले हैं वो सदैव एक समान भाव से जीवन जियेंगे और नित्य नये बहाने खोजते रहेंगे।कभी दो संगठन का बहाना बनाकर बैठे रहेंगे तो कभी अपने या अपने परिवार की बीमारी का बहाना बनाकर घर बैठे रहेंगे।कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो वास्तव में परेशान होते हैं लेकिन बहानेबाजों की वजह से ऐसे साथी भी संगठन में सदैव संदिग्ध बने रहते हैं।थोडा सा समय बचा है इसमें नित्य नये बहाने खोज लीजिए या सम्मानजनक जीवन।

                      *एक तर्क तो कोई भी कदापि न दे कि―तीन वर्षों में कुछ नहीं हुआ तो अब क्या होगा क्योंकि सबकुछ पहली बार ही होता है।किसी भी ग्रुप की सफलता के पीछे के संघर्ष को ईमानदारी से देखेंगे तो आपको आपका संघर्ष कहीं सबसे बेहतर समझ में आयेगा।*
*4 अक्टूबर को चलिए सरकार के सरकारी नाक में दम कर दिया जाय।*
एक बात बता दूँ कि इस बार ऐतिहासिक होगा सबकुछ।
*4अक्टूबर-विधान सभा घेराव*
*लाठी खाना है तो विधान सभा के सामने खाएंगे जहाँ से पूरा प्रदेश देख सके।*
*जय गंगा मैया*


इलाहाबाद