*(4 अक्टूबर―विधान सभा घेराव)*
मित्रों मैं अनुदेशकों में ऐसे साथियों से अनुरोध/अपील करता हूँ जो शारीरीक शिक्षा अनुदेशक हैं और अब तक बीपीएड की स्थाई भर्ती के लिए जी जान से और पूरी ईमानदारी से संघर्ष किए है लेकिन अनुदेशकों के संघर्ष से किसी न किसी कारण वश अब तक जुड़ नहीं पाये हैं।
आप लोगों की कडी तपस्या और ताबड़तोड़ संघर्ष के कारण ही आज बीपीएड बेरोजगार साथियों को रोजगार मिलने जा रहा है।बीपीएड का कोई भी संघर्ष रहा हो उसमें बीपीएड अनुदेशक साथियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।एक सितंबर के ऐतिहासिक विधान सभा घेराव में भी सबसे बडा योगदान बीपीएड अनुदेशकों का ही रहा है। यह सत्य है कि सभी लोग अपने लिए संघर्ष करने को जाते थे और बीपीएड की स्थाई भर्ती की चाहत रखते थे लेकिन यह भी सत्य है कि बीपीएड की भर्ती संविदा पर आ चुकी है।
अब जब यह निश्चित हो चुका है कि बीपीएड की भर्ती संविदा पर ही आयेगी और उसका मानदेय सात हजार रूपए ही होगा तो मैं अपने उन साथियों से हाथ जोड़कर यह निवेदन कर रहा हूँ कि अब बचे हुए समय में आपके उसी उर्जा की जरूरत अनुदेशकों के संघर्ष को आ पडी है।हमारा संघर्ष यदि सफल होता है तो हम निश्चित रूप से नियमित अध्यापक ही होंगे।
कला, कम्प्यूटर,कृषि, गृह विज्ञान के साथ साथ बीपीएड के भी बहुत से साथियों ने अब तक बहुत ही निष्ठा से संघर्ष में साथ दिया है।मैं आप लोगों से भी यह अनुरोध करता हूँ कि आइए एक बार फिर से एक सितंबर का वाकया दोहरा दिया जाए।सरकार चुनाव में जाने वाली है लगभग 50-60 दिन शेष बचे हैं।इन बचे हुए दिनों में जो भी संगठन सटीक वार कर ले रहा है माननीय मुख्यमंत्री जी उसके लिए खजाने का मुंह खोल दे रहे हैं।
4 अक्टूबर को विधान सभा के घेराव का कार्यक्रम बनाया गया है।इस बार समस्त अनुदेशक साथियों से अनुरोध है कि आइए मिलकर एक इतिहास रच दें।जिल्लत भरी लंबी जिंदगी से फख्र के साथ चार दिन जीना सदैव अच्छा रहा है।कुछ बडा पाना है तो कुछ बडा कर गुजरना होगा।अब शायद वक्त आ चुका है जब लखनऊ की काली सड़कों को लाल कर दिया जाए।यदि बिना रक्त रंजित हुए लखनऊ की सड़कें किसी को कुछ नहीं देती हैं तो अब समय आ गया है साथियों जब रक्त के एक एक कतरे को हम अपने सम्मान के लिए लगा दें।
*हो ऐसी जोश जवानी में, जो लगा दे आग पानी में।*
चलो लखनऊ-4 अक्टूबर
चलो विधान सभा-4अक्टूबर
*जय गंगा मैया*
इलाहाबाद