सम्मानित साथियों नमस्कार...
चलते रहो पथ में... चलने में माहिर बन जाओगे।
या तो मंजिल मिल जायेगी या अच्छे मुसाफिर बन जाओगे।
साथियों इस सरकार के कार्यकाल के अंतिम संघर्ष में कल विधान सभा घेराव कर अपनी एकजुटता की ताकत का एहसास करा कुछ लेकर वापस आना है । अगर इस बार बहानेबाजी किया तो आपने, अपने आप को धोखा दिया किसी पदाधिकारी को आप बहाने बना समझा सकते लेकिन आप खुद को जवाब नही दे पायेगे इसलिए आप आज ही मेरे साथ लखनऊ के लिए अपरान्ह 3.30 बजे इन्टरसिटी से लखनऊ के लिए चले।
लक्ष्य भी है मंजर भी है..
चुभता मुश्किलों का खंजर भी है...
प्यास भी है आस भी है..
ख्वाबो का उलझा एहसास भी है...
रहता भी है सहता भी है..
बनकर दरिया सा बहता भी है...
पाता भी है खोता भी है..
हेड के सामने रोता भी है...
थकता भी है चलता भी है...
रिन्यूवल के नाम पर कागज सा गलता भी है।
गिरता भी है संभलता भी है......
अपने अधिकारो के लिए लडता भी है
मत देखो आपके साथ कौन नही जा रहा क्योंकि किसी ने कहा है कि *संघर्ष में आदमी अकेला होता है.. सफलता में दुनिया उसके साथ होती है.. जिस जिस पर यह जग हंसा है...उसी ने इतिहास रचा है*
*साथियों अब न देर करो सब एक साथ आज ही लखनऊ चलो*
सुशील पाण्डेय
जिलाध्यक्ष - बांदा