Saturday, November 19, 2016

लक्ष्मण मेला मैदान पर प्रस्तावित धरने को भरपूर समर्थन दें

मैं सभी अनुदेशक साथियों से करबद्ध निवेदन करना चाहता हूँ कि सभी एकजुट होकर लक्ष्मण मेला मैदान पर प्रस्तावित धरने को भरपूर समर्थन दें । कल्याण समिति पिछली बार  चन्दा इकठ्ठा करके मानदेय बढ़वा रही थी । 15 हजार रुपये करवाने के नाम पर इन्होंने चन्दा वसूला और फिर उसकी नाकामी को छुपाने के लिए ये सब एकीकरण का ढोंग किये । एकीकरण को भी इन्होंने 1470 रुपये की सामान्य बढ़ोतरी को जो कि केंद्र सरकार ने स्वतः 21 %बढ़ाया था अनुदेशकों का मानदेय उसको अपने द्वारा कराया गया कार्य बतला कर एकीकरण को भी ध्वस्त कर दिया और खुद को महिमामंडित करते रहे ।।      ये बेशर्म वहीं नहीं रुके इसके बाद जब 3 अगस्त को विधान सभा के घेराव के बाद प्रमुख सचिव से वार्ता जिन बिन्दुवों पर हुयी उसी मांग को लेकर ये फिर लक्ष्मण मेला मैदान में अपने संगठन को लेकर धरने पर बैठ गए ।जो दबाव बनाया गया था सरकार पर इन्होंने 50 और 100 की संख्या में बैठ कर वो भी हल्का कर दिया । जब प्रमुख सचिव ने इनकी सारी मांगों को ठुकरा दिया तो इन्हे उच्च प्राथमिक  के संगठन की याद आयी और तेजस्वी का आह्वाहन करने लगे ।तब अनुदेशक हितैषी होने के कारण हमारे संगठन के सभी पदाधिकारियों ने समर्थन दिया और पूरी दमदारी के साथ तेजस्वी ने धरने में अपने लोगों के साथ शामिल हुए।जिसका परिणाम रहा कि जो प्रमुख सचिव इनकी कोई मांग मानने को तैयार नहीं था वही प्रमुख सचिव तुरंत उसी दिन बुलाकर वार्ता करके सहमति प्रदान करते है जिन मांगों पर तेजस्वी से वार्ता और सहमति 3 अगस्त को ही बनी थी । लेकिन इसमें भी कल्याण समिति के महान विद्वान पदाधिकारी अपने आप को महिमामंडित करने लगे और उच्च प्राथमिक के संगठन के सहयोग को भुला दिया ।  फिर जब उच्च प्राथमिक अनुदेशक का कार्यक्रम विधान सभा घेराव का था तो उसके पहले ही जाकर परियोजना में बैठ गए और अनुदेशक हितों के सम्मान के साथ समझौता कर लिया और पारस्परिक स्थानांतरण का झुनझुना लेकर आये जिसका 5 % अनुदेशकों को भी नहीं लाभ मिल पाया । अब ये कोर्ट के नाम पर चन्दा लेकर बैठे है तो इन्हे कोई जवाब या रास्ता नहीं सूझ रहा है ।सोच रहे है क्यों ना फिर ऐसा माहौल पैदा किया जाये कि अनुदेशक इनकी मक्कारी को भुला कर फिर से इनके झांसे में आ जाये।                    अब तक ये वैभव राणा को अपना मशीहा मानते थे अब पैसे की जंग में बेचारे वो किनारे कर दिए गए । और नए नए बुद्धिजीवी इस समय संगठन को नए नए तरीके से चंदे और अनुदेशकों को गुमराह करने के फॉर्मूले बता रहे है ।।    हद है कल्याण समिति के बुद्धिजीवी पदाधिकारियों का।। अब इनकी नयी सोच ये है कि किसी तरह फिर एकीकरण का मंच तैयार करो या अनुदेशकों को आपस में लड़ा दो बस इनके चंदे के पैसे का हिसाब ना लिया जाये ।   और उसके लिए भरपूर रणनीति बना दिए है ।          यह तो संविदा कर्मचारियों को इंक्रीमेंट दिला रहे थे  ।।        शर्म करो राकेश पटेल अनुदेशकों के हितों से खेलना बंद करो ।।।।।      एक बात और आप सभी सम्मानित पदाधिकारियों से निवेदन है कल्याण समिति द्वारा रणनीति यही बनाई गयी है कि हम अनावश्यक की बहस में हिस्सा लेकर 29 के कार्यक्रम पर ध्यान ना दे पाएं ।आप सभी 29 को लक्ष्मण मेला मैदान में धरने की तैयारी करें ।।    भ्रमित ना हों और ना होने दें ।।                         अनूप राय                                 प्रदेश सचिव                              उच्च प्राथमिक अनुदेशक वे0 एसो0 उत्तर प्रदेश ।