तेजस्वी शुक्ला जी के पोस्ट का चन्द लाइनो में उत्तर
...घटिया गंदी राजनीति से चार कदम आगे.....
याद होगा तेजस्वी जी दिल्ली का धरना रखा था तो उसी समय पर इन्होंने (मतलब राकेश पटेल)लखनऊ में धरना लगा लिया था उसका फायदा यह मिला कि तेजस्वी जी दिल्ली में नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव के आवास का घेराव किया और उनसे पैब में 25000 रूपए का प्रस्ताव भेजवाने की सहमति बना लिया था।उनके द्वारा प्रमुख सचिव बेसिक को फोन भी करवा दिया गया था लेकिन उसी समय उस दबाव को कैश कराते हुए इस संगठन ने प्रमुख सचिव से मुलाकात करके उपलब्धि को अपने खाते मे कराने के लिए लिखित रूप से मानदेय ₹15000/- का प्रस्ताव पैब में भेजने पर सहमति बनाकर चले आये और प्रमुख सचिव बेसिक की हैसियत दखिये कि मुलायम सिंह यादव जी की बात को काटकर राकेश पटेल की बात को ऊपर रख लिया।।
उसी समय इनके प्रतिनिधि मण्डल ने वाहवाही लूटने के लिए एक दो ऐसे आदेश ले लिए जो आज हमारे भविष्य के लिए अत्यंत नुकसान दायक बन गया है।
इन्होंने उस समय एक आदेश करवाया था जिसमें संविदा के अलावा हम सबसे कोई कार्य न लेने का आदेश दिया गया है।मित्रों बिना किसी राजनीति के,दिल पर हाथ रखकर बता दीजिए कि उस आदेश के बाद से आपसे संविदा से इतर कार्य लिया जा रहा है या नहीं लेकिन वही आदेश आज समान कार्य के लिए समान वेतन की रिट में हम लोगों के लिए काल बनने जा रहा है और यह सम्भव है कि वह आदेश ही इस रिट में हमारे खिलाफ सरकार का सबसे बडा हथियार बनेगा।
अब कोई तेजस्वी जी को ये समझाये कि आप शासनादेश ध्यान से पढ़ ले जिसमे कम से कम एक सप्ताह 24 कलांश पढ़ाना अनिवार्य है ये सबसे बड़ा हथियार शासनादेश में अनुदेशको के पास है और बढ़िया सर्विश मैटर के खासतौर पर शिक्षा जगत के नामी गिरामी वकील से मिलो ओ बतायेगा की कैसे हकदार हो।
इन्होंने उस समय एक और आदेश लिया कि समय से भुगतान हो तो यह तो आप सब भी जानते होंगे कि कितने समय से मानदेय मिलता है।इसमें मुझे कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं है।
मुझे बस यही कहना है कि ससमय उपस्थिति पहुचा दिया करो जनपद पर और भुगतान करा लिया करो।।
उसी आदेश का असर है कि फरवरी 2017 तक का बजट का मानदेय का जनपदों पर भेज दिया गया है।।
पिछली बार हमारे संगठन ने जब 4 अक्टूबर को विधान सभा घेराव का कार्यक्रम घोषित कर दिया तब इनके प्रदेश अध्यक्ष जी ने बीच में कूद कर 27 सितंबर से धरना रख लिया।हमने विधान सभा का घेराव किया भी(ईश्वर और लखनऊ में उपस्थित अनुदेशक उस घेराव की सच्चाई जानते है)और पुलिस द्वारा लाठी चार्ज भी किया गया(जिसका सत्यापन कपडा उतार कर फ़ोटो पदाधिकारियो द्वारा देखने को मिला था) और थाने पर भी ले जाकर बंद भी किया गया जिसको हमें प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि समाचार पत्रों ने पूरे प्रदेश में इस खबर को प्रमुखता से छापा था(हा हा हा) स्तित्व बचाने के उस विधान सभा का घेराव हम सब किये और लाभ लेने के लिए ही इन लोगों ने धरना रखा था और वही हुआ भी।जिस प्रमुख सचिव से स्थानांतरण पर तेजस्वी जी की हवा में सहमति बन गयी थी जिसे मैं बार बार लिखकर आप सबको अवगत भी करा रहा था लेकिन मै करा नही पाया ,उसी प्रमुख सचिव से राकेश पटेल प्रदेश अध्यक्ष ने जल्दबाजी में अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए पारस्परिक स्थानांतरण की मांग कर लिया जिसे जारी करना काफी आसान था।फिर भी लगभग साढ़े 3 सालो तेजस्वी जी नही करा पाये,आप लोग ईमानदारी से बताएं कि पारस्परिक स्थानांतरण से कितने प्रतिशत लोगों को लाभ मिला है।मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि एक प्रतिशत लोगों को तो लाभ मिला है।जबकि अनुदेशकों की पूरी संख्या का पचास प्रतिशत से भी ज्यादा लोग स्थानांतरण चाहते है लेकिन घर बैठे।।
मित्रों आदेश लेकर उपलब्धियों की गिनती कराना होता तो शायद तेजस्वी जी के संगठन की उपलब्धियों की एक लंबी कतार होती।लेकिन बहुत खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है इन 4 सालो में तेजस्वी जी ज्ञापन जनपद पर दिलवा,फ़ोटो खिंचवाने के बाद कुछ कर नही पाये, लेकिन तेजस्वी जी ने कभी समझौता नहीं किया 55 दिन के धरने में समायोजन की मिठाई भी खाई और कभी भी गलत या बिना मतलब की मांगे नहीं रखी एक ही माँग रखी समायोजन का और आगे भविष्य में भी नहीं रखेंगे।तेजस्वी जी की मांगे सदैव ठोस रही है और आगे भी ठोस ही रहेगी(समायोजन) इसलिए हिलती डुलती भी नही है।जिसे जितनी उपलब्धियां गिनाना हो गिना लें।तेजस्वी जी की मांग जिस दिन पूरी होगी उसी दिन से अनुदेशकों को सम्मान मिलना शुरू हो जायेगा।
लेकिन पता नही वो दिन कब आयेगा??
सभी मुद्दों पर तेजस्वी अध्यक्ष जी सदैव आप सबको बेवकूफ बनाते रहे हैं,हालांकि मैं कभी भी इस तरह की फालतू बातों में नहीं पड़ना चाहता था लेकिन इतनी गंदगी के बाद सत्यता से आपको अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है। तो मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि अपर राज्य परियोजना निदेशक ने राकेश पटेल के जनसुनवाई पोर्टल पर अपना पीछा छुड़ाने को घुमाकर उत्तर दिया है ।मैं चाहता हूँ कि इसका अवलोकन आप सब भी करें और आगे अपनी सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाये।।
कि जनसुनवाई पोर्टल एक शिकायत का माध्यम होता है जिसपर अधिकारी की सफाई है जिसको अन्यथा में घुमा कर अनुदेशको को गुमराह किया जा रहा है।।
तेजस्वी जी से आग्रह है आप कृपया अपने माँग समायोजन पर अटल रहे बिलकुल विचलित न होइएगा।।
याद रहे तेजस्वी भैया
आपने कई जनपदों की बैठक में इस सत्र 2016 में समायोजित कराने के लिए अपने बच्चों के सर की कसम खायी है
प्राण जाये पर वचन न जाये।।
...घटिया गंदी राजनीति से चार कदम आगे.....
याद होगा तेजस्वी जी दिल्ली का धरना रखा था तो उसी समय पर इन्होंने (मतलब राकेश पटेल)लखनऊ में धरना लगा लिया था उसका फायदा यह मिला कि तेजस्वी जी दिल्ली में नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव के आवास का घेराव किया और उनसे पैब में 25000 रूपए का प्रस्ताव भेजवाने की सहमति बना लिया था।उनके द्वारा प्रमुख सचिव बेसिक को फोन भी करवा दिया गया था लेकिन उसी समय उस दबाव को कैश कराते हुए इस संगठन ने प्रमुख सचिव से मुलाकात करके उपलब्धि को अपने खाते मे कराने के लिए लिखित रूप से मानदेय ₹15000/- का प्रस्ताव पैब में भेजने पर सहमति बनाकर चले आये और प्रमुख सचिव बेसिक की हैसियत दखिये कि मुलायम सिंह यादव जी की बात को काटकर राकेश पटेल की बात को ऊपर रख लिया।।
उसी समय इनके प्रतिनिधि मण्डल ने वाहवाही लूटने के लिए एक दो ऐसे आदेश ले लिए जो आज हमारे भविष्य के लिए अत्यंत नुकसान दायक बन गया है।
इन्होंने उस समय एक आदेश करवाया था जिसमें संविदा के अलावा हम सबसे कोई कार्य न लेने का आदेश दिया गया है।मित्रों बिना किसी राजनीति के,दिल पर हाथ रखकर बता दीजिए कि उस आदेश के बाद से आपसे संविदा से इतर कार्य लिया जा रहा है या नहीं लेकिन वही आदेश आज समान कार्य के लिए समान वेतन की रिट में हम लोगों के लिए काल बनने जा रहा है और यह सम्भव है कि वह आदेश ही इस रिट में हमारे खिलाफ सरकार का सबसे बडा हथियार बनेगा।
अब कोई तेजस्वी जी को ये समझाये कि आप शासनादेश ध्यान से पढ़ ले जिसमे कम से कम एक सप्ताह 24 कलांश पढ़ाना अनिवार्य है ये सबसे बड़ा हथियार शासनादेश में अनुदेशको के पास है और बढ़िया सर्विश मैटर के खासतौर पर शिक्षा जगत के नामी गिरामी वकील से मिलो ओ बतायेगा की कैसे हकदार हो।
इन्होंने उस समय एक और आदेश लिया कि समय से भुगतान हो तो यह तो आप सब भी जानते होंगे कि कितने समय से मानदेय मिलता है।इसमें मुझे कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं है।
मुझे बस यही कहना है कि ससमय उपस्थिति पहुचा दिया करो जनपद पर और भुगतान करा लिया करो।।
उसी आदेश का असर है कि फरवरी 2017 तक का बजट का मानदेय का जनपदों पर भेज दिया गया है।।
पिछली बार हमारे संगठन ने जब 4 अक्टूबर को विधान सभा घेराव का कार्यक्रम घोषित कर दिया तब इनके प्रदेश अध्यक्ष जी ने बीच में कूद कर 27 सितंबर से धरना रख लिया।हमने विधान सभा का घेराव किया भी(ईश्वर और लखनऊ में उपस्थित अनुदेशक उस घेराव की सच्चाई जानते है)और पुलिस द्वारा लाठी चार्ज भी किया गया(जिसका सत्यापन कपडा उतार कर फ़ोटो पदाधिकारियो द्वारा देखने को मिला था) और थाने पर भी ले जाकर बंद भी किया गया जिसको हमें प्रमाणित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि समाचार पत्रों ने पूरे प्रदेश में इस खबर को प्रमुखता से छापा था(हा हा हा) स्तित्व बचाने के उस विधान सभा का घेराव हम सब किये और लाभ लेने के लिए ही इन लोगों ने धरना रखा था और वही हुआ भी।जिस प्रमुख सचिव से स्थानांतरण पर तेजस्वी जी की हवा में सहमति बन गयी थी जिसे मैं बार बार लिखकर आप सबको अवगत भी करा रहा था लेकिन मै करा नही पाया ,उसी प्रमुख सचिव से राकेश पटेल प्रदेश अध्यक्ष ने जल्दबाजी में अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए पारस्परिक स्थानांतरण की मांग कर लिया जिसे जारी करना काफी आसान था।फिर भी लगभग साढ़े 3 सालो तेजस्वी जी नही करा पाये,आप लोग ईमानदारी से बताएं कि पारस्परिक स्थानांतरण से कितने प्रतिशत लोगों को लाभ मिला है।मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि एक प्रतिशत लोगों को तो लाभ मिला है।जबकि अनुदेशकों की पूरी संख्या का पचास प्रतिशत से भी ज्यादा लोग स्थानांतरण चाहते है लेकिन घर बैठे।।
मित्रों आदेश लेकर उपलब्धियों की गिनती कराना होता तो शायद तेजस्वी जी के संगठन की उपलब्धियों की एक लंबी कतार होती।लेकिन बहुत खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है इन 4 सालो में तेजस्वी जी ज्ञापन जनपद पर दिलवा,फ़ोटो खिंचवाने के बाद कुछ कर नही पाये, लेकिन तेजस्वी जी ने कभी समझौता नहीं किया 55 दिन के धरने में समायोजन की मिठाई भी खाई और कभी भी गलत या बिना मतलब की मांगे नहीं रखी एक ही माँग रखी समायोजन का और आगे भविष्य में भी नहीं रखेंगे।तेजस्वी जी की मांगे सदैव ठोस रही है और आगे भी ठोस ही रहेगी(समायोजन) इसलिए हिलती डुलती भी नही है।जिसे जितनी उपलब्धियां गिनाना हो गिना लें।तेजस्वी जी की मांग जिस दिन पूरी होगी उसी दिन से अनुदेशकों को सम्मान मिलना शुरू हो जायेगा।
लेकिन पता नही वो दिन कब आयेगा??
सभी मुद्दों पर तेजस्वी अध्यक्ष जी सदैव आप सबको बेवकूफ बनाते रहे हैं,हालांकि मैं कभी भी इस तरह की फालतू बातों में नहीं पड़ना चाहता था लेकिन इतनी गंदगी के बाद सत्यता से आपको अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है। तो मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि अपर राज्य परियोजना निदेशक ने राकेश पटेल के जनसुनवाई पोर्टल पर अपना पीछा छुड़ाने को घुमाकर उत्तर दिया है ।मैं चाहता हूँ कि इसका अवलोकन आप सब भी करें और आगे अपनी सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाये।।
कि जनसुनवाई पोर्टल एक शिकायत का माध्यम होता है जिसपर अधिकारी की सफाई है जिसको अन्यथा में घुमा कर अनुदेशको को गुमराह किया जा रहा है।।
तेजस्वी जी से आग्रह है आप कृपया अपने माँग समायोजन पर अटल रहे बिलकुल विचलित न होइएगा।।
याद रहे तेजस्वी भैया
आपने कई जनपदों की बैठक में इस सत्र 2016 में समायोजित कराने के लिए अपने बच्चों के सर की कसम खायी है
प्राण जाये पर वचन न जाये।।